आयुष ग्राम (ट्रस्ट) का प्रथम प्रकल्प ‘आयुष ग्राम चिकित्सालयम्’
आयुष ग्राम ट्रस्ट का विश्वास है कि हमारे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सुगम एवं उच्च महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रदान की जानी चाहिये। इस विश्वास को सत्य करने के लिये यहाँ जो कुछ भी किया जा सकता है, उससे और भी अच्छा करने के लिये संकल्पित हैं।
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) का चिकित्सा प्रकल्प ‘‘आयुष ग्राम चिकित्सालयम्’’ भारतीय चिकित्सा पद्धति की ‘‘आयुष’’ विधा से कार्य कर रहा है। आयुष में ‘आयुर्वेद’ मूल स्रोत ‘‘अथर्ववेद’’ है। आयुर्वेद का चिकित्सा विज्ञान अत्यन्त व्यापक, गहन, सूक्ष्म और वैश्विक है। इसमें स्वास्थ्य की बहु आयामी अवधारणा है।
आयुर्वेद का ऐसा चिकित्सा विज्ञान है जिसमें जैविक, मानसिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को एकाकार करते हुये चिकित्सा करने की व्यवस्था है।
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आयुष ग्राम ट्रस्ट का स्टॉफ एक टीम की तरह कार्य करता है जिसमें डॉक्टर्स, नर्स, फार्मासिस्ट, प्रबन्धक, प्रशासक, सपोर्ट स्टॉफ और ट्रस्टी बोर्ड मेम्बर्स सभी प्रयासरत रहते हैं।
आयुष ग्राम चिकित्सालयम् अपनी चिकित्सा पद्धति में आधुनिक प्रगतियों के साथ नाड़ी विज्ञान, मूत्र, मल, जीभ, शब्द आदि परीक्षण को अपनाकर चिकित्सा को सफल करने का प्रयास करता है। क्योंकि हम एलोपैथीक चिकित्सा पद्धति के हारते और बढ़ते रोगों के युग में आपके रोग को आयुष चिकित्सा द्वारा हटाकर आपको निरोग, सुखी बनाकर रोग एवं दवा दोनों से मुक्त करना चाहते हैं।
आयुष ग्राम ट्रस्ट लगातार प्रगति की ओर बढ़ने का प्रयास करता गया, इस प्रयास से संस्था को राष्ट्रीय पहचान मिली है और एलोपैथी चिकित्सा के युग में भी आयुष ग्राम ट्रस्ट के प्रयत्नशील कार्यों को सराहा जा रहा है तथा देश और विदेश के सैकड़ो रोगी प्रतिदिन यहाँ आयुष चिकित्सा हेतु आते है।
आयुर्वेद चिकित्सा के दौरान आयुष ग्राम ट्रस्ट जटिल रोगों में, पंचकर्म की विभिन्न क्रियाओं द्वारा बहिरंग विभाग एवं अंतरंग विभाग में अपने रोगियों पर प्रयोग होने से यहाँ उत्कृष्ट परिणाम देखे जा रहे हैं।
आयुष ग्राम चिकित्सालयम् इन तकनीकों से कम समय में ही बेहतर परिणाम प्राप्त कर लेता है और इससे रोगी की आयु भी बढ़ जाती है। यही यहाँ की गुणवत्ता है। मरीजों को इसके द्वारा अतिशीघ्र एवं सही निदान मिलता है।
आयुष ग्राम ट्रस्ट के माध्यम से हम आपके साथ हैं, यहाँ के डॉक्टर प्रत्येक मरीज को व्यक्तिगत तरीके से देखकर ही रोग का इलाज करते हैं। क्योंकि आयुर्वेद विज्ञान का सिद्धान्त है कि कभी-कभी दो मरीज एक जैसे नहीं हो सकते। न उनकी प्रकृति रोग जैसे हो सकती इसलिये सभी के परिणाम भी पृथक-पृथक आते हैं और चिकित्सा भी पृथक-पृथक होती है।
ज्यों-ज्यों अंग्रेजी दवाइयों, खास रूप से अंग्रेजी एण्टीबायोटिक्स का प्रयोग बढ़ रहा है तथा भारत के लोग भारतीय जीवनशैली को भुलाकर स्वच्छन्द जीवनशैली में जीने लगे हैं, त्यों-त्यों किडनी पेâल्योर, हार्ट, वैंâसर, मधुमेह के मामले बढ़ते जा रहे हैं। डायलेसिस केन्द्रों और हार्ट केन्द्रो में जाकर देखिये कि क्या त्राहि-त्राहि मची हुयी है।
आज पहली जरूरत यह है कि समाज में आयुर्वेदीय जीवनशैली और बचाव को कड़ाई से लागू कराया जाये जिससे कम से कम नवयुवक तो किडनी हार्ट, वैंâसर आदि के रोगी न हों। दूसरा ऐसा प्रयास किया जाय कि बीमारी का पता चलते ही आयुष चिकित्सा में आयें। क्योंकि रोग की बढ़ी अवस्था में समय भी अधिक लगता है, खर्च भी अधिक होता है तथा परिणाम भी सन्दिग्ध रहता है।
आयुष के क्षेत्र में आयुष ग्राम (ट्रस्ट) द्वारा स्थापित ‘आयुष ग्राम चिकित्सालयम्’ एक ऐसा स्थान है जहाँ की चिकित्सा टीम जटिल से जटिल समस्याओं को नये-नये तरीके से हल करने के लिये कार्य कर रही है। नये और आधुनिक तथा शोध एवं भारतीय चिकित्सा के विज्ञान के तरीकों द्वारा चिकित्सा सम्बन्धी तत्वों को अधिक से अधिक सुलभ, लचीला (सुगम) और सस्ता बनाने का प्रयासरत है।
संस्थान के पास अनेक जटिल रोगों के निदान के लिये विभिन्न प्रकार की प्रभावी औषधियाँ आयुर्वेद की आधुनिक प्रगतियों तथा आयुर्वेदीय नाड़ी विज्ञान एवं दक्षिण भारत से शिक्षित प्रशिक्षित अनुभवी डाक्टरों की और प्रशिक्षित पैरा मेडिकल स्टॉफ की अनुभवी टीम उपलब्ध हैं।
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